यह है मामला : राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक एवं एडीजीपी लायक राम डबास ने बताया कि 24 जुलाई 2009 को प्रदेश भर में जेबीटी की परीक्षा हुई थी। हजारों की संख्या में परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। इस दौरान परीक्षार्थियों के फिंगर प्रिंट भी लिए गए थे।इन परीक्षार्थियों में से 8514 युवकों की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे। ऐलिमेंटरी एजुकेशन के डायरेक्टर की तरफ से एससीआरबी को पत्र भेजा गया, जिसमें उन्होंने ड्यूटी पर चल रहे 8514 टीचर्स व उन युवकों के फिंगर प्रिंट मिलान के लिए कहा, जिन्होंने परीक्षा दी।
लायक राम डबास ने बताया कि उनकी टीम सदस्यों ने प्रदेश भर में काम कर रहे सभी टीचर्स के फिंगर प्रिंट लिए और उनकी मैचिंग शुरू की गई। अभी तक करीब तीन हजार के फिंगर प्रिंट की जांच की जा चुकी है, इसमें से सौ से अधिक के फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं हो सका है। अभी 5500 के करीब टीचर्स के फिंगर प्रिंट का मिलान करना बाकी है। वे अपनी रिपोर्ट पूरी होने के बाद डायरेक्टर ऐलिमेंटरी एजुकेशन को भेज देंगे। वे ही इन लोगों पर कार्रवाई करेंगे।
हर कंपीटीशन परीक्षा में लिए जाएं फिंगर प्रिंट : डबास
एडीजीपी लायक राम डबास के अनुसार परीक्षा के दौरान फिंगर प्रिंट लेने की प्रक्रिया काफी सरल व उपयोगी है। इससे उन लोगों को पकड़ने में आसानी रहती है, जो दूसरों के स्थान पर परीक्षा देते हैं। उन्होंने अपील की है कि हर तरह के कंपीटीशन परीक्षा में इस तरह की प्रक्रिया होनी चाहिए।