लंबे इंतजार के बाद बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का रास्ता खुल गया है। बुधवार को सुप्रीमकोर्ट ने विशेष अधिकारी और बिहार सरकार द्वारा तैयार आवेदकों की वरीयता सूची को मंजूरी दे दी। अदालत ने बिहार सरकार को तीन महीने में रोस्टर तैयार कर सूची कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। सुप्रीमकोर्ट बिहार में 34,540 प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती मामले में सुनवाई कर रहा है। न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने नियुक्ति की मांग कर रहे आवेदकों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश जारी किये। बिहार सरकार ने आज 1,33,140 आवेदकों की वरीयता सूची कोर्ट में पेश की। उन्होंने कहा कि ये सूची कोर्ट के निर्देश पर विशेष अधिकारी और राज्य सरकार ने 184 आवेदकों की आपत्तियां सुनने बाद तैयार की है। कोर्ट ने सूची मंजूर करते हुए राज्य सरकार को आरक्षण नियमों के मुताबिक वरीयता सूची (रोस्टर) तैयार करने के लिए तीन महीने का समय दे दिया। पीठ ने मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर तक स्थगित करते हुए राज्य सरकार से अगली सुनवाई पर रोस्टर सूची कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश वासुदेव, गोपाल सिंह व मनीष कुमार ने कोर्ट से रोस्टर तैयार करने के लिए तीन महीने का समय और उसे लागू करने के लिए दो और महीने का समय दिये जाने का अनुरोध किया। उनकी दलील थी कि रोस्टर तैयार करने और बाहर से डिग्री लेने वाले आवेदकों के प्रमाणपत्र की जांच में तीन महीने का समय लग सकता है। राज्य सरकार ने यह भी कहा कि कोर्ट साफ कर दे कि इसके बाद किसी भी अदालत में इस मामले को लेकर मुकदमेबाजी या सुनवाई नहीं होगी। बिहार सरकार ने कहा कि फिलहाल वह प्राविजनल नियुक्तियां करेगी जो कि प्रमाणपत्रों की जांच के अधीन होंगी।
Source: नई दिल्ली, जागरण
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